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न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं

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गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
इंसान का ‘ज़मीर’ और शतरंज का ‘वज़ीर’ एक जैसा होता है क्योकी अगर दोनो मर गए, तो खेल खत्म
झूठ इसलिए बिक जाता है, क्योंकि सच खरीदने की हैसियत सबकी नही होती।
हलके-हलके बढ़ रही है चेहरे की लकिरें; लगता है, नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है
कुछ रिश्ते ऊपर बनते है कुछ रिश्ते लोग बनाते है, वो लोग बहुत ख़ास होते है जो बिना रिश्ते के रिश्ता निभाते है!
बहुत दुर तक जाना पड़ता है सिर्फ यह जानने के लिए..कि नज़दीक कौन है
दिल के रिश्ते तो किस्मत से मिलते है, वरना मुलाक़ात तो हजारो से होती है
जिंदगी में हर जगह हम जीत चाहते है..सिर्फ फूलवाले की दुकान ऐसी है, जहाँ हम कहते है की हार चाहिए..क्योकि हम मगवान से जीत नहीं सकते
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसका आपसे बात करने का तरीका भी बदल जाता है।
कुछ रिश्ते इतने अजीब होते हैं कि उन्हें तोड़ने वाला टूटने वाले से ज्यादा रोता है.