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हजारों ख़्वाब टूटते हैं, तब कहीं एक सुबह होती है.

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लोग आपको नहीं आपके अच्छे वक़्त को अहमियत देते हैं
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
मैं हर रात की ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता, हुन मगर रोज सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं।
ज़माने लगते है सुबह होने में, जिन्हें रात को नींद नहीं आती I
खामोश चहरे पर हजारों पहरे होते है, हस्ती आंखो में भी ज़ख्म गहरे होते है
जब जागो तब सवेरा।
हजारों मुकम्मल ख्वाबों के बीच, तेरा ना मिलना खलता बहुत है..!!!
एक ऐसा लक्ष्य निर्धारित करें जो आपको सुबह बिस्तर से उठने पर मजबूर कर दें…
इंसान का ‘ज़मीर’ और शतरंज का ‘वज़ीर’ एक जैसा होता है क्योकी अगर दोनो मर गए, तो खेल खत्म
झूठ इसलिए बिक जाता है, क्योंकि सच खरीदने की हैसियत सबकी नही होती।