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मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िंदगी में, बस हम गिनती उसी की करते है, जो हासिल न हो सका
दुनिया की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाती है, एक कामयाबी ही है जो ठोकर लगने के बाद आती है।
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं।
हर ठोकर इस बात की चेतावनी देती है, की अब संभाल जाओ
सारी उम्र गुज़री यूं ही रिश्तों की तुरपाई में, मन के रिश्ते पक्के निकले, बाकि उधड़ गए कच्ची सिलाई में
कभी भी शादियों के भोजन की बुराई मत करना, कोई पिता वर्षो कमाता है एक दिन की दावत के लिए।
क्रोध हमेशा मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर समाप्त होता है।
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे