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उदास करती है मुझे हर रोज़ ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे-धीरे…!!

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मुझे दोस्ती करनी हैं इस वक़्त के साथ
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
लगता है आज जिंदगी कुछ ख़फ़ा है, चलिए छोड़िये कौन-सी पहली दफ़ा है।
मोहब्बत ने यू शिला दिया है मुझे जो मेरे हक में ना था वो दर्द भी दिया है मुझे
छोटी सी जिंदगी है, हँस के जियो, भुला के गम सारे दिल से जियो, अपने लिए न सही अपनों के लिए जियो।
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे
उदास कर जाती है मुझे हर रोज ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे धीरे
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं वो अश्क़ जो आँखों से गिर नहीं पाते।
उदास लोगो की मुस्कुराहट सबसे खूबसूरत होती