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लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी हम तिरी दोस्ती से डरते हैं
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
जब शौक के लिए वक्त ना मिले तो समझ लेना की जिंदगी शुरू हो गई हैं.
समय दिखाई नहीं देता पर बहुत कुछ दिखा कर चला जाता है|
वक्त के साथ बदल जाओ या फिर वक्त बदल दो, नहीं तो वक्त आपको बदल देगा I
कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है, ये वक्त है साहब बदलता जरूर है।
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
वक्त जब शिकार करता है हर दिशा से वार करता है.
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी
छोटी सी बात पर खुश होना मुझे आता था, पर बड़ी बात पर चुप रहना जिंदगी ने सीखा दिया!