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ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया

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मेरे ग़म का छोटा सा हिस्सा लेकर तो देखो , मरने की ख्वाहिश न करने लगे तो कहना
कब्रें कितनी भी क्यों न सज जाएं बोल नहीं पातीं, इसलिए जिंदा रहते ही मुस्कुराना सीख लीजिए।
जो लोग दर्द को समझते हैं वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते
ज्यादा बात करने वाले कुछ नहीं कर पाते और कुछ कर दिखानेवाले ज्यादा बात करने में यकिन नहीं रखते!
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
हिम्मत की बात नहीं करिए जब इसकी बात आती है, मैं खुद को भी भूल जाता हूँ।
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.
हर आदमी के अपने गुप्त दुख होते हैं जिन्हें दुनिया नहीं जानती; और कई बार हम किसी आदमी को कठोर समझते हैं जब वह केवल उदास होता है।
जो लोग छोटी सी बात पर भी अपनी आँखों के नीर को नहीं रोक पाते, वास्तव में वह लोग दिल के बड़े सच्चे होते हैं|