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गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे

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किसी ने बहुत अच्छी बात कही है… मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा कि मैं ज़्यादा समझदार हूँ, बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि मैंने ज़िंदगी में ग़लतियाँ तुमसे ज़्यादा की हैं।
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
गलतियाँ जीवन का एक हिस्सा है, पर इन्हें स्वीकार करने का साहस बहुत कम लोगों में होता है।
पैरों से कांटा निकल जाए तो चलने में मज़ा आता है, और मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन जिने में मज़ा आता है।
दुनिया से दोस्ती अच्छी है , मगर भगवान की यारी की तो बात ही कुछ और है।
तुमसे मिलकर बात करके जो खुशी होती ह वह खुशी आज तक किसी से मुझे नसीब नहीं हुई
झूठ इसलिए बिक जाता है, क्योंकि सच खरीदने की हैसियत सबकी नही होती।
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.
ज्यादा बात करने वाले कुछ नहीं कर पाते और कुछ कर दिखानेवाले ज्यादा बात करने में यकिन नहीं रखते!
इंसान का ‘ज़मीर’ और शतरंज का ‘वज़ीर’ एक जैसा होता है क्योकी अगर दोनो मर गए, तो खेल खत्म