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निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
उदास कर जाती है मुझे हर रोज ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे धीरे
हालातो ने खो दी इस चहेरे की मुस्कान, वरना जहां बैठते थे रौनक ला दिया करते थे
जिसकी जैसी सोच वह वैसी कहानी रखता है, कोई परिंदे के लिए बन्दुक तो कोई पानी रखता है
जिंदगी में खुशियाँ तलाश करो, दुखो का कोई अंत नहीं होता
वो एक रोज सारी खुशियाँ लेकर लौट आएगी, इस उम्मीद को लेकर बहाल रही है जिंदगी
किसी को मनाने से पहले यह जरुर जान लेना, की वह तुमसे नाराज है या परेशान
तुम्हारे बगीचे में भी खुशबु रहती है, मेरे रोग में भी भरोसा रहता है
मैंने कुछ वक्त चुप रहकर भी देख लिया, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
आंसूं किसी के दुःख को समझता नहीं है, और न ही किसी की ख़ुशी को