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किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे
उदास करती है मुझे हर रोज़ ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे-धीरे…!!
वो किताबों में लिखा नहीं था , जो सबक़ ज़िन्दगी ने सिखाया मुझे !
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है
जिसका खारा वो ही सोच रहा है, और जिसका मीठा वो ही बोल रहा है।
अगर तुम मेरे घर के चिराग नहीं हो तो मेरा मन सूना है। अगर तुम मेरी बहन होती तो मैं फिर कभी इस तरह नहीं मुस्कुराता
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
घाव ठिक हो जाने से, हादसे नही भूले जाते..
आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
मौन, मैंने समझा है , एक ऐसी चीज़ है जो आप वास्तव में सुन सकते हो।