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न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं , जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है
खुद पर काबु रखना एक परिपक्व इंसान की निशानी है; वक्त से पहले खुद पर काबु खो देना अपरिपक्वता की पहचान है।
समय अच्छा हो तो आपकी गलती भी मजाक लगती है, समय खराब हो तो मजाक भी गलती बन जाती है।
जो तुमसे तंग आ जाए उसे छोड़ दो, क्योंकि बोझ बन जाने से याद बन जाना बेहतर है..
कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नहीं आता, हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगों को मित्र और शत्रु बनाता है।
सबसे शक्तिशाली पद हासिल उतना कठिन नहीं होता जितना उस पर बने रहना होता हैं.
यादें ही तो ज़िन्दगी का खज़ाना हैं. बाकी तो सबको खली हाथ ही जाना हैं…
वक्त के साथ जख्म तो भर जायेंगे, मगर जो बिछड़े सफर जिन्दगी में फिर ना कभी लौट कर आयेंगे … भावभीनी श्रद्धांजलि
झूठ की खरीददारी ज्यादा दिन तक नही टिकती, सच एक ही सही, अंत तक साथ देता है।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती है, मगर पहचान छिन लेती है।