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जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर, रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है, तो कभी न कभी, कहीं न कहीं जज्बातों फूट फूटके रोने लगते है
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले और बंद करू तो सपने भी
दुनिया में प्यार से ज़्यादा दर्द कुछ
दुख तो मुफ्त में मिलते है लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था मेरी किश्ती थी डूबी वहां
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को