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मैंने कुछ वक्त चुप रहकर भी देख लिया, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
उदास करती है मुझे हर रोज़ ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे-धीरे…!!
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
चहरे बदल जाए तो कोई तकलीफ नहीं, मगर लहजे बदल जाए तो बहुत तकलीफ होती है
किसी को मनाने से पहले यह जरुर जान लेना, की वह तुमसे नाराज है या परेशान
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
जिसकी जैसी सोच वह वैसी कहानी रखता है, कोई परिंदे के लिए बन्दुक तो कोई पानी रखता है
दिल के रिश्ते तो किस्मत से मिलते है, वरना मुलाक़ात तो हजारो से होती है
ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
हालातो ने खो दी इस चहेरे की मुस्कान, वरना जहां बैठते थे रौनक ला दिया करते थे