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वो एक रोज सारी खुशियाँ लेकर लौट आएगी, इस उम्मीद को लेकर बहाल रही है जिंदगी
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
किसी ने बहुत अच्छी बात कही है… मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा कि मैं ज़्यादा समझदार हूँ, बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि मैंने ज़िंदगी में ग़लतियाँ तुमसे ज़्यादा की हैं।
निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
तुमसे मिलकर बात करके जो खुशी होती ह वह खुशी आज तक किसी से मुझे नसीब नहीं हुई
जो आपके सबसे करीब होता है, वही आपको सबसे ज्यादा दुःख देने का सोचता है।
कब्रें कितनी भी क्यों न सज जाएं बोल नहीं पातीं, इसलिए जिंदा रहते ही मुस्कुराना सीख लीजिए।
हालातो ने खो दी इस चहेरे की मुस्कान, वरना जहां बैठते थे रौनक ला दिया करते थे
मैंने कुछ वक्त चुप रहकर भी देख लिया, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
तेरी यादों के सहारे जीना सिख लिया है, सिरहाने के तकिया का सहारा लिया है