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हर ठोकर इस बात की चेतावनी देती है, की अब संभाल जाओ

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निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
क्यां हुआ जो हम अब अजनबी बन गए, इतनी जल्दी दूरियाँ बढ़ गई
टूटा हुआ दिल और मुस्कुराते हुए चहरे वाले व्यक्ति से, ज्यादा मजबूत कुछ भी नहीं है
उदास कर जाती है मुझे हर रोज ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे धीरे
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
तेरी यादों के सहारे जीना सिख लिया है, सिरहाने के तकिया का सहारा लिया है
आंसूं किसी के दुःख को समझता नहीं है, और न ही किसी की ख़ुशी को
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं।
किसी को मनाने से पहले यह जरुर जान लेना, की वह तुमसे नाराज है या परेशान