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हम ज़िन्दगी भर जमीनों की कीमत पर इतराते रहे, हवा ने अपनी औकात मांगी तो खरीदी हुई ज़मीने बिक गयी।

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ज़िन्दगी में अगर गुलाब की तरह खिलना है तो कांटों से तालमेल की कला को सीखना ही होगा
जब दूसरे सो रहे हों, आप काम/पढ़ाई करो. . जो उनके सपने हैं, वो ज़िन्दगी आप जियोगे
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
ज़िन्दगी भर नहीं दूंगा।
सच्ची दोस्ती के रंग गहरे पक्के होते हैं, ज़िन्दगी की धूप में भी उड़ा नही करते।
ज़िन्दगी में अगर गुलाब की तरह खिलना है तो कांटों से तालमेल की कला को सीखना ही होगा.
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
जिसके पास उम्मीद और आस है, वो ज़िन्दगी के हर इम्तिहान में पास हैं…!
झूठ इसलिए बिक जाता है, क्योंकि सच खरीदने की हैसियत सबकी नही होती।