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हमें उम्र से हमने तुमको चाहा है, जिस उम्र में हम जिस्म से वकीफ ना थे..

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एक पर्व ही बताता है कि ख्याल कितना है, वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तों में।
ऐ उमर… अगर दम है तो कर दे इतनी सी खाता। बचपन तो छीन लिया, बचपना छीन कर बता।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं। रात भी आई थी, और चांद भी था। हाँ मगर नींद नहीं।
ज़िंदगी की लंबाई नहीं, बल्कि गहराई मायने रखती है।
मैं हर रात की ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता, हुन मगर रोज सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं.
झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये। जिंदगी तो काटी, ये रात कट जाए।
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है
सारी उम्र गुज़री यूं ही रिश्तों की तुरपाई में, मन के रिश्ते पक्के निकले, बाकि उधड़ गए कच्ची सिलाई में
थोड़ा है, थोड़ी की जरूरत है। जिंदगी फिर भी यहां खूबसूरत है।
इक ज़रा चेहरा उधर कीजे, इनायत होगी आप को देख के। बड़ी देर से मेरी सांस रुकी है।