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वक्त जब शिकार करता है हर दिशा से वार करता है.
हमें उम्र से हमने तुमको चाहा है, जिस उम्र में हम जिस्म से वकीफ ना थे..
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं।
पतझड़ में ही रिश्तों की परख होती है, बारिश में तो हर पत्ता हरा ही दिखता है
पैसे को दिमाग में नही जेब मे रखना चाहये, रिश्तों को खुले में नही दिलों में रखना चाहिये!
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसका आपसे बात करने का तरीका भी बदल जाता है।
अपने रिश्तो को उस ताले की तरह बनाओ जिसे हथोड़े की चोट तो मंजूर हो, मगर किसी दूसरी चाबी से खुलना मंजूर नहीं.
क्रोध हमेशा मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर समाप्त होता है।
उम्र से अधिक अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से आता है