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दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनकर धोका देते है।
मेरी उड़ानों को खुद पर यकीन है क्योंकि तू मेरा आकाश है घनघोर अंधियारी में तू यार मेरे, तमस मिटाता प्रकाश
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते
आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी
मित्र और दुश्मन, दोनों ही जरूरी हैं; एक जीने के लिए, दूसरा जीने का कारण बताने के लिए।
दुश्मन भी कांपने लगता है, जब भाई सामने होता है।
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते