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ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है

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दोस्त भाई नही हो सकते पर भाई दोस्त हो सकते हैं।
तुझे खोकर भी है एक तसल्ली मुझे अब मेरे साथ और क्या बुरा होगा
भले ही गिनती के चार हो मगर, जो दोस्त हो वो वफादार हो।
हम को यारों ने याद भी न रखा जौन' यारों के यार थे हम तो
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा
दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए
परिवार का प्यार और दोस्तों की प्रशंसा धन और अधिकार से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।
इस जीवन में अगर धैर्य को अपना मित्र बना लिया, तो हम जो चाहें वो पा सकते हैं।
बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
मेरे हाथों की लकीरें खास हैं, क्योंकि दोस्त के रूप में भाई पास है।