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जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो

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पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या किया रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते
हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
जो अपना दोस्त खुद बन जाता है उसे दोस्तों की दोस्ती की जरूरत ही नहीं रहती।
हम को यारों ने याद भी न रखा जौन' यारों के यार थे हम तो
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले
बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
दोस्त भाई नही हो सकते पर भाई दोस्त हो सकते हैं।
दोस्ती का कोई मज़हब नहीं होता।