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आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले, और बंद करू तो सपने भी काले…
यदि आप वर्तमान में स्थिति में नहीं हैं, तो आप अनिश्चितता की प्रतीक्षा कर सकते हैं या हंगामा के साथ बैठे हैं और दर्द और दु: ख में लौट रहे हैं।
दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते है
जब ‘दर्द’ और ‘कड़वी’ बोली दोनों मीठी लगने लगे तब समझ लीजिये कि जीना आ गया
दुख तो मुफ्त में मिलते है, लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही पड़ती है
मोहब्बत ने यू शिला दिया है मुझे जो मेरे हक में ना था वो दर्द भी दिया है मुझे
जब शौक के लिए वक्त ना मिले तो समझ लेना की जिंदगी शुरू हो गई हैं.
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से नाखुश है .
तुम्हें देखा तो मोहब्बत भी समझ आई, वरना इस लफ्ज़ की तारीफ सिर्फ ही सुना करता था मैं !