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सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो, तेरे रवइये से जुदाई की महक आती है
दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ
मुझे दोस्ती करनी हैं इस वक़्त के साथ
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
तुम्हें देखा तो मोहब्बत भी समझ आई, वरना इस लफ्ज़ की तारीफ सिर्फ ही सुना करता था मैं !
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है, मैंने अपने आप को दुःख दिया है.
सोचो कितनी खूबसूरत होगी जिंदगी। जब दोस्त, मोहब्बत और हमसफ़र तीनो एक ही इंसान हो।
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
मोहब्बत का दर्द तब होता है, जब तू दूर है और मेरी रातें लम्बी होती है!
सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या..