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भले ही गिनती के चार हो मगर, जो दोस्त हो वो वफादार हो।
आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले और बंद करू तो सपने भी
तुमसे मिलकर बात करके जो खुशी होती है वह खुशी आज तक किसी से मुझे नसीब नहीं हुई..
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को
दुख तो मुफ्त में मिलते है लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो
हवाओं ने खूब कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे।