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आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले और बंद करू तो सपने भी

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जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते
फ़रियाद कर रही है तरसी हुई निगाह, किसी को देखे हुए अरसा हो गया है।
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ
लोग शादी करते हैं क्योंकि वे प्राकृतिक शक्तियों का प्रतिरोध नहीं कर पाते, हालांकि उनमें से बहुत से लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि वे संभवत
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था मेरी किश्ती थी डूबी वहां