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अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
एतबार किया खता नहीं एतबार से बडी खता नहीं
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा
परिवार और दोस्त छिपे हुए ख़ज़ाने हैं, जो तकलीफ या परेशानी में सबसे पहले सामने आते हैं।
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर
एक सच्चा दोस्त वह होता हैं जो तब भी हमारे साथ चलता जब पूरी दुनिया हमसे मुंह मोड़ लेती हैं।
भाई को दोस्त बना लो तो जीवन ही आसान हो जाता है।
जो अपना दोस्त खुद बन जाता है उसे दोस्तों की दोस्ती की जरूरत ही नहीं रहती।
मैंने सफलता के बारे में कभी सपना नहीं देखा। मैंने इसके लिए काम किया। ~ एस्टी लउडार