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वो छोटी छोटी उड़ानों पर गुरुर नहीं करता, जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है..!!!
जहाँ सूर्य की किरण हो, वहीं प्रकाश होता है, और जहाँ प्रेम की भाषा हो, वहीं परिवार होता है।।
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते
हमें उनकी छाया में चलकर उनकी छाया बनना है। ख़ुशी के लिए हमें दर्द से भी लड़ना पड़ता है. मैं उसका भाई होने पर गर्व कैसे नहीं कर सकता? मेरे जुगनू को जलाने वाली एकमात्र मेरी बहन है
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा
जहाँ सूर्य की किरण हो, वहीं प्रकाश होता है, और जहाँ प्रेम की भाषा हो, वहीं परिवार होता है।।
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी
जो अपने आप को रातों रात बदलते हैं, वही दिन के उजाले में चमकते हैं!