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हिम्मत की बात नहीं करिए जब इसकी बात आती है, मैं खुद को भी भूल जाता हूँ।
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
शायद ये चेहरा मेरा नहीं है लेकिन कुछ चेहरे देखकर मुझे मेरा चेहरा बदलने का मन करता है I
दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई, तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ नजर आती है !
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी
हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।