#Quote

जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसका आपसे बात करने का तरीका भी बदल जाता है।

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इस जीवन में मैं पूरी तरह से इंसान हूं: महसूस करना, देना, लेना, हंसना, खोना, मिलना, नाचना, प्यार करना, इंसान बनना। ये सारी चीज़े इंसान के जीवन का एक अहम हिस्सा है।
वो मुश्किल दौर ही होता है जो इंसान को मज़बूत बना देता है ताकी वो हीरे की तरह चमक सके
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
कभी भी शादियों के भोजन की बुराई मत करना, कोई पिता वर्षो कमाता है एक दिन की दावत के लिए।
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है कल इतनी थी आज इतनी बढ़ गयी। ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है, कल इतनी थी आज इतनी कम हो गयी।
इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नहीं, अपनी ज़रूरत के हिसाब से गरीब होता है।
थोड़ा है, थोड़ी की जरूरत है। जिंदगी फिर भी यहां खूबसूरत है।
अहंकार में डूबे इंसान को, ना तो खुद की गलतियां दिखाई देती है और ना दूसरों की “अच्छी” बात।
पैरों से कांटा निकल जाए तो चलने में मज़ा आता है, और मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन जिने में मज़ा आता है।