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अपनी पीठ की मजबूती को बढ़ाए, शाबाशी और धोखा दोनों पीछे से ही मिलते है।
तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के।
बेकार में मोहब्बत से नफरत हो गयी।
जो लोग कहते है कि उन्हें प्यार से बहुत नफरत है,
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
निपुणता हमेशा आपके आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए - न कि एक मशीनी और उदासीन कार्य-भावना का।
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है
मैं इश्क लिखूं और उसे हो जाए काश मेरी शायरी में कोई ऐसे खो जाए
तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,