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सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या.

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प्रेम एक समाहित करने की प्रक्रिया है। जब एक बार आपको मैं अपने एक अंश के रूप में शामिल कर लेता हूं, मैं आपके साथ वैसा ही होऊंगा, जैसा मैं खुद के साथ हूं। - सद्‌गुरु
काश यह दिल अपने बस मे होता, न किसी की याद आती, न किसी से प्यार होता.
कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं, तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं, पर हकीक़त तो ये है, हम तो बस निभाने को प्यार कहते हैं.
तुमसे मिलकर बात करके जो खुशी होती ह वह खुशी आज तक किसी से मुझे नसीब नहीं हुई
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है
निपुणता हमेशा आपके आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए - न कि एक मशीनी और उदासीन कार्य-भावना का ।
मेरी प्रिय, तुम जब मुस्कुराती हो, मेरा दिन रौशन हो जाता है, मैं सोचता हूं तुम न होती तो मेरा जीवन भी अधूरा रह जाता।
अगर खुशी के आंसुओं ने, प्रेम के आंसुओं ने, परमानंद के आंसुओं ने आपके गालों को नहीं धोया है, तो आपने अभी तक जीवन का अनुभव नहीं किया है ।
प्रेम कोई काम नहीं बल्कि एक गुण है ।
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात, मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.