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ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.

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मुस्कुराते हुए इंसान की कभी जेबे देखना ! हो सकता है रूमाल गिला मिले.
दुनिया से दोस्ती अच्छी है , मगर भगवान की यारी की तो बात ही कुछ और है।
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
आज टुटा एक तारा देखा, बिल्कुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिल्कुल तेरे जैसा था.
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत राह पर चल रहे हैं– स्वामी विवेकानंद
उम्मीद से बढ़कर निकली तुम तो ! मैंने तो सोचा था दिल ही तोड़ोगी तुमने तो मुझे ही तोड़ दिया
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
जो अपने आप को रातों रात बदलते हैं, वही दिन के उजाले में चमकते हैं!
उम्मीद छोड़ी हैं तुमसे मोहब्बत नहीं.
वो दिन नहीं वो रात नहीं वो पहले जैसे जज़्बात नहीं, होने को तो हो जाती है बात अब भी मगर इन बातों में वो बात नहीं।