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निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
वो एक रोज सारी खुशियाँ लेकर लौट आएगी, इस उम्मीद को लेकर बहाल रही है जिंदगी
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
तेरा इंतजार करता हूँ रोज रातों में, खुद को सांसों में समेटा हुआ देखता हूँ
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
क्यां हुआ जो हम अब अजनबी बन गए, इतनी जल्दी दूरियाँ बढ़ गई
चहरे बदल जाए तो कोई तकलीफ नहीं, मगर लहजे बदल जाए तो बहुत तकलीफ होती है
मैं ज़िन्दगी से नहीं, अपने आप से नाराज़ हूँ – अर्जुन
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
दर्द तब और भी गहरा होता है जब, हमें अपने ही लोगो से धोखा मिलता है