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अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
ये वही लोग है जिन्हें प्यार में सिर्फ नफरत ही मिलती है।
दूसरों की बातों में आकर वैसा कभी मत बनना, जैसा तुम खुद कभी बनना नही चाहते।
बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह।
मैं इश्क लिखूं और उसे हो जाए काश मेरी शायरी में कोई ऐसे खो जाए
दुनिया को नफरत का सुबूत नहीं देना पड़ता,
अब ऐसे नफरत जताते हो
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,