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सहमी हुई थी झोपड़ी बारिश के खौफ से, मेहलो की आरजू थी के बारिश जरा जम के बरसे
सबर मेरा कोई क्या ही आजमाएगा, मैंने हंस के छोड़ा है उसे जो मुझे सबसे प्यारा था
अगर सूरज के तरह जलना है तो रोज उगना पड़ेगा I
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं की, खैरियत पूछने वाला आपकी खैरियत भी चाहता हो
कितना अजीब है लोगों का अंदाज-ऐ-मोहब्बत, रोज एक नया जख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना
अगर सूरज के सूरज जलना है तो रोज उगना पड़ेगा।
जिसने अपनी इच्छाओं पर काबू पा लिया उस व्यक्ति ने समझो अपने दुखों पर काबू पा लिया
मुझपर बहुत जिम्मेदारियां थी मेरे घर की, माफ करना मैं तेरे इश्क में मर नहीं सकता
वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हु मै, उसे क्या पता ओढ़ कर चादर रो रहा हु में
बड़ी अजीब होती है ये यादें, कभी हसा देती है, कभी रुला देती है