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किस्मत की लकीरों पर ऐतबार करना छोड़ दिया, जब इंसान बदल सकते हैं तो किस्मत क्यों नहीं

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जब इंसान अन्दर से टूटता है तो बहार से खामोश हो जाता है।
कुछ पल का साथ देकर तुमने, पल पल के लिए बेचैन कर दिया
दिल कहता है मैसेज कर दू उसे, दिमाग कहता है हर बार जलील होना ठीक नहीं
इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नहीं, अपनी ज़रूरत के हिसाब से गरीब होता
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं करता।
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
किस्मत सिर्फ मेहनत से बदलती है, बैठ कर सोचते रहने से नहीं!
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है
इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है कल इतनी थी आज इतनी बढ़ गयी। ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है, कल इतनी थी आज इतनी कम हो गयी।
आपका अनुभव ही आपको एक बेहतर इंसान बनाता है इसलिए अनुभव लेते रहिए और जिंदगी जीते चलिए।