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पतझड़ में ही रिश्तों की परख होती है, बारिश में तो हर पत्ता हरा ही दिखता है
इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नहीं, अपनी ज़रूरत के हिसाब से गरीब होता
अहंकार में डूबे इंसान को, ना तो खुद की गलतियां दिखाई देती है और ना दूसरों की “अच्छी” बात।
हम हार गए क्योंकि हमने खुद से कहा कि हम
समय की कद्र करो क्योंकि खोया हुआ समय कभी वापस नहीं आता।
मुस्कुराते हुए इंसान को कभी जब देखना, हो सकता है रूमाल गिला मिले
रास्ता सही होनी चाहिए क्योकि कभी कभी मंज़िल भी रास्तों में मिल जाती है I
अच्छा बोलने वाले लोगों की बातों का ध्यान रखें, क्योंकि वे तो कह रहे हैं, उनकी अपनी कहानियाँ बयां कर रहे हैं।
अजीज भी वो है, नसीब भी वो है, दुनिया की भीड़ में करीब भी वो हे, उनकी दुआओं से ही चलती है जिंदगी, क्योंकि खुदा भी वो है, तकदीर भी वो है।
जो इंसान मन की तकलीफों को नही बता पता, उसे ही गुस्सा सबसे ज्यादा आता है।