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न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले.

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और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
मोहब्बत थी इसलिए जाने दिया जिद होती तो पलंग पर होती और पलंग चू चू कर रही होती.
मोहब्बत ने यू शिला दिया है मुझे जो मेरे हक में ना था वो दर्द भी दिया है मुझे
इन फासलों के पीछे सब फैसले तुम्हारे थे.
अपने सपनों से सच्ची मोहब्बत करके तो देखो, जिंदगी में लोगों के आने या जाने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा
मैं हमेशा डरता था उसे खोने से ! उसने ये डर ही ख़त्म कर दिया मुझे छोड़कर.
सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या..
दर्द में हूँ देदे अपनी बाँहों की सुकून वाली रात तू है मेरी मोहब्बत मेरी सुकून आस.
न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले !!