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हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का ! बड़ी मासूमियत से कहते हैं मजबूर थे हम.

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न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले.
कोई सिखादे मुझे भी अपने वादों से मुक़र जाना ! बहुत थक चुका हूँ निभाते-निभाते.
उम्मीद से बढ़कर निकली तुम तो ! मैंने तो सोचा था दिल ही तोड़ोगी तुमने तो मुझे ही तोड़ दिया
जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं.
यूँ सिमट गया मेरा प्यार चंद अल्फाज़ो में ! जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.
कुछ रिश्ते इतने अजीब होते हैं कि उन्हें तोड़ने वाला टूटने वाले से ज्यादा रोता है.
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का ! बड़ी मासूमियत से कहते हैं मजबूर थे हम !!
उम्मीद छोड़ी हैं तुमसे मोहब्बत नहीं.
आज टुटा एक तारा देखा, बिल्कुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिल्कुल तेरे जैसा था.
ज्यादा बात करने वाले कुछ नहीं कर पाते और कुछ कर दिखानेवाले ज्यादा बात करने में यकिन नहीं रखते!