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माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।

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कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
जब इंसान जिंदगी कि अपनी सभी इच्छाओं से, मुक्त हो जाता है या कहो वो अपने सारे इन्द्रियों को, अपने काबु में रखता है, तब ही उसे शांति मिल सकती है!
कौन ज्यादा मजबूर है वो जो सड़कों पर सुकून की नींद सोता है या वो जो लाखों के घर में भी नींद के लिये तरसता है।
मैंने 'भगवान ' तो नहीं देखा फिर भी ' माँ ' के रूप मे उसका रूप देखा। मैनै ' जन्नत ' तो नहीं देखी फिर भी ' माँ ' के प्यार मे उसका ' दृश्य ' देखा
कौन समझता है किसी को कोई यहां झूठे दिलासे, कोरा सा अपनापन मिलता है मुफ्त में यहां।
दिल के रिश्तों में पैसों का हिसाब नही होता... क्यूं की पैसों से चीजों का सौदा होता है , इंसानों का नहीं, और अगर हो सौदा रिश्तों में तो वो रिश्ता दिल से नही होता - prabhamayee parida
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
एतबार किया खता नहीं एतबार से बडी खता नहीं