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लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
समय सीमा पर काम खत्म कर लेना काफी नहीं है मैं समय सीमा से पहले काम खत्म होने की अपेक्षा करता हूं।
समय सीमा पर काम खत्म कर लेना काफी नहीं है मैं समय सीमा से पहले काम खत्म होने की अपेक्षा करता हूं ।” धीरूभाई अंबानी
अपनी पीठ की मजबूती को बढ़ाए, शाबाशी और धोखा दोनों पीछे से ही मिलते है।
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।
मैंने 'भगवान ' तो नहीं देखा फिर भी ' माँ ' के रूप मे उसका रूप देखा। मैनै ' जन्नत ' तो नहीं देखी फिर भी ' माँ ' के प्यार मे उसका ' दृश्य ' देखा
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
स्कुल की परिक्षाये भलेही रद्द की गयी हो। जिंदगी की बडी कठीण परीक्षा की घडी है..ये देनी ही होगी।
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम