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कभी-कभी हम किसी के लिए उतना भी ज़रूरी नहीं होते, जितना की हम सोचते

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अकेले रहने में और अकेले हो जाने में बहुत फर्क होता
जब इंसान अन्दर से टूटता है तो बहार से खामोश हो जाता
तुझे भुलाने की जिद्द थी, अब भुलाने का ख्वाब है, ना जिद्द पूरी हुई और ना
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा
वो ढूँढ रहे थे मुझे भूल जाने के तरीके, मैंने उनसे खफा होकर उनकी मुश्किल आसान कर
जरूरी नहीं कि सारे सबक किताबों से ही सीखें जाते है, कुछ सबक जिंदगी और रिश्ते भी
झुकने से रिश्ता गहरा हो तो झुक जाओ, पर हर बार आपको ही झुकना पड़े तो रुक
कभी कभी सोचते है नया हो कुछ जिंदगी में। और कभी बस ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है।
किसी को इतना भी ना चाहो कि फिर भुला ही ना
अगर सजा दे ही चुके हो तो हाल न पूछना, हम अगर बेगुनाह निकले तो तुम्हे अफ़सोस