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ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.
जिंदगी कैसे अजीब हो गई हैं, खुश दिखना खुश होने से ज्यादा जरुरी हो गया हैं.
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले.
उम्मीद छोड़ी हैं तुमसे मोहब्बत नहीं.
जीवन में खुश रहने का एक ही मन्त्र है, उम्मीद केवल खुद से करे, किसी और से नहीं।
हर नया दिन एक नई उम्मीद लेकर आता है, उसे गले लगाएं और आगे बढ़ें।
जब से वो छोड़ गया है, ज़िंदगी बेमतलब सी हो गई है.
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते जब मिल गया उसे खोया नहीं करते हासिल उन्हें होती है सफलता…. जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते
जीत की उम्मीद रखते हो बहाने बनाके चलने का शौक है क्या।