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ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है।
जो लोग एक दूसरे से सचमुच बहुत प्रेम करते हैं, वही लोग प्रियजन को खो देने के बाद भी हालात को शालीनतापूर्वक सम्हाल पाएंगे।
मृत्यु परम सत्य है और शरीर नश्वर है। लेकिन फिर भी, मन आपके इस तरह से दुनिया से जाने का दर्द सहन नहीं कर सकता है। आपकी आत्मा को शान्ति मिले।
जो भी शर्तों पर आधारित है, वह प्रेम नहीं है।
ईश्वर से कोई भी प्रेम कर सकता है क्योंकि वह आपसे कुछ नहीं मांगता। पर अपने पास खड़े व्यक्ति से प्रेम करने की कीमत जीवन से चुकानी पड़ती है।
आज खुदा ने मुझसे कहा भुला क्यों नहीं देते उसे मैंने कहा इतनी फिक्र है तो मिला क्यों नहीं देते !
अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर उल्लास हैं।
सात फेरों से तो, महज शरीर पर हक मिलते हैं, आत्मा में हक तो रूह के फेरों से मिलते हैं !
छुपाने लगा हूँ कुछ राज अपने आप से, जब से मोहब्बत हुई है हमें आप से !
मुझसे मत पूछना कि मैं तुमसे इश्क़ क्यों करता हूं, क्योंकि फिर मुझे वजह बतानी पड़ेगी अपने जीने की !