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सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से नाखुश है .
सात फेरों से तो, महज शरीर पर हक मिलते हैं, आत्मा में हक तो रूह के फेरों से मिलते हैं !
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
मैं प्यार का इस्तीफा
मैं बिन फेरों के भी रिश्ता निभाऊंगा बश तुम मेरा हाथ थामें रखना
आप प्रेम में खड़े नहीं हो सकते, आप प्रेम में चढ़ नहीं सकते, आप प्रेम में उड़ नहीं सकते - आप प्रेम में सिर्फ डूब सकते हैं।
जैसे कभी जानते ही नहीं थे
मैं इश्क लिखूं और उसे हो जाए काश मेरी शायरी में कोई ऐसे खो जाए
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,