#Hindi Quote

जमाने में वही लोग हम पर उंगली उठाते हैं जिनकी हमें छूने की औकात नहीं

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न कर फ़िक्र की जमाना क्या सोचेगा, ज़माने को अपनी ही फ़िक्र से फुरसत कहाँ!
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
जो रातों को कोशिशों में गंवा देते हैं, वहीं सपनों की चिंगारी को और हवा
गिरना अच्छा है, औकात का पता चलता है, हाथ थामे रखने वाले कितने है, इस बात का पता चलता है!
एक दिन वर्षों का संघर्ष बहुत खूबसूरत तरीके से तुमसे
असंभव शब्द का प्रयोग केवल कायर ही करते हैं
घायल तो यहां हर परिंदा है
कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है
गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सब्र तो रख ! जब खुशियाँ ही न रुकी तो ग़म की क्या औकात है !!
अगर ख्वाईश कुछ अलग करने की है तो दिल और दिमाग के बीच बगावत लाजमी