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व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।
जब इंसान जिंदगी कि अपनी सभी इच्छाओं से, मुक्त हो जाता है या कहो वो अपने सारे इन्द्रियों को, अपने काबु में रखता है, तब ही उसे शांति मिल सकती है!
मन का उधड़ा वसन है सिलेगा नहीं फूल उपवन मे कोई खिलेगा नहीं यूँ तो मुझसे भी बेहतर मिलेंगे मगर मेरा पर्याय तुमको मिलेगा नहीं..! - अनन्या राय पराशर
ज़िन्दगी के बहुत से इम्तिहान बाकी हैं अभी तो बस चलना सीखा है नापने को पूरी कायनात बाकी है। गिरूंगा सीखूंगा उठूंगा अभी सीखने को पूरा संसार बाकी है।
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
"अपेक्षा" और "उपेक्षा" दोनों का होना ही गलत है "अपेक्षा" खुद को घायल करती है "उपेक्षा" दूसरों को।
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
बड़ा बनो पर उसके सामने नहीं, जिसने तुम्हें बड़ा किया है