#Hindi Quote

न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं , जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है

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जो मैं जलते चिराग में पड़ा तेल हूँ, तो सच यह है कि बहना तुम उस चिराग में जलती बाती हो।
जो मैं जलते चिराग में पड़ा तेल हूँ, तो सच यह है कि बहना तुम उस चिराग में जलती बाती हो ।
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं वो अश्क़ जो आँखों से गिर नहीं पाते।
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
मेरे ग़म का छोटा सा हिस्सा लेकर तो देखो , मरने की ख्वाहिश न करने लगे तो कहना
वो किताबों में लिखा नहीं था , जो सबक़ ज़िन्दगी ने सिखाया मुझे !
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है