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दिखावे के शरीफ बनने की आदत नही है हमारी, शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम बोलते है।
कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
वज़न तो सिर्फ हमारी इच्छाओं का है, बाकी जिंदगी बिलकुल हलकी फुलकी है।
इंसानों की फ़ितरत हर वक़्त बदलती रहती है ख़ुद पर विश्वास रखो ।
दिल पर लग जाती है उन्हें अक्सर हमारी बातें, जो कहते थे तुम कुछ भी बोलो बुरा नहीं लगता!
अजीब फितरत है लोगों की, अपनी गलती पर वकील बनते हैं और दूसरे की गलती पर जज बनते हैं!
शायद ये चेहरा मेरा नहीं है लेकिन कुछ चेहरे देखकर मुझे मेरा चेहरा बदलने का मन करता हैI
शायद ये चेहरा मेरा नहीं है लेकिन कुछ चेहरे देखकर मुझे मेरा चेहरा बदलने का मन करता है
दर्द की दास्तानें भी होती हैं सुनहरी, क्योंकि उनमें हमारी मोहब्बत की ख़ुशबू छिपी होती है!
इक ज़रा चेहरा उधर कीजे, इनायत होगी आप को देख के। बड़ी देर से मेरी सांस रुकी है।