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स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नह।
जिंदगी हसीन है, खुल के जी कर तो देखिए बरसों से लगी इस धूल को हटाकर तो देखिए।
आपको खुद की सम्मान करनी चाहिए, चाहे अन्य लोग इसे समझें या ना समझें।
ऐसी बेरुखी भी देखी है हमने के लोग, आप से तुम तक तुम से जान तक, फिर जान से अनजान तक हो जाते ।
बारिश के बाद तार पर टंगी आख़री बूंद से पूछना, क्या होता है अकेला पन।
आपकी सम्मान वह वेतन है जिसे आपको लेना होगा, आपको चाहिए वह संघटना जो आपको चुने।
खुद को हर किसी से अलग मानो, वही खुदरा है जिसे दुसरों की मौजूदगी पर इतना अच्छा नहीं लगता।
खुद को सम्मान दीजिए, क्योंकि जब आप अपने आप में सम्मान करते हैं, तभी कोई दूसरा आपको सम्मान दे सकता है।
ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे ; आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे ; ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया; वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
नहीं बदल सकते हम खुदको औरों के हिसाब से, एक लिबास मुझे भी दिया है, खुदा ने अपने हिसाब ।