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आदमी को खुद को वैसा बनाने को कहा जाता है जैसा कि उसे अपनी किस्मत को पूरा करने के लिए होने की कल्पना की जाती है - पॉल टिलिच
“अहमियत” दी तो कोहिनूर खुद को ”मानने” लगे, कांच के #टुकड़े भी क्या खूब वहम पालने लगे.
जो #बीत गया उसे भूल जाओ जो कर रहे हो उस पर #विश्वास करो ध्यान रखो ‘कर्म’ का फल वक्त देगा।
मनुष्य कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं। ~ आचार्य चाणक्य
जिंदगी में उस चीज की अहमियत किसी को समझ नहीं आती जो उसके_पास पहले से ही हो।
मनुष्य हालात, किताब और आघात से जो सीखता है, फिर उसी मनुष्य को देख दुनिया सीखती है.
है जिनके_पास अपने वो अपनों से #झगड़ते है, नहीं #जिनका कोई अपना वो अपनों को ‘तरसते’ है.
नए लोगों के आने से पुराने की वैल्यू कम ना करना। क्योंकि हीरा चाहे ‘कितना’ भी पुराना हो,चमक नहीं छोड़ता
हर किसी से महत्व पाने की इच्छा व्यक्ति को “नुकसान” पहुंचाती है.
कोई भी लक्ष्य मनुष्य ने साहस से बड़ा नहीं, हरा वही है बस, जो लड़ा नहीं।